चारधाम यात्रा अब पूरी तरह से खत्म हो गई है। रविवार को बदरीनाथ धाम के भी कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए हैं। इससे पहले केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट बंद हो गए थे। अब शीतकाल के बाद अक्षय तृतीया पर कपाट खोले जाएंगे।
*भैया दूज पर केदारनाथ के कपाट बंद हुए थे।
*सबसे आखिरी में बदरीनाथ के बंद होते हैं कपाट।
*रात 9 बजे जय श्री बद्री विशाल का जयघोष गूंजा।
चमोली: उत्तराखंड के प्रसिद्ध श्री बदरीनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए रविवार को विधि पूर्वक बंद कर दिए गए। रात 9.07 बजे मंदिर के पुजारियों ने ‘जय श्री बद्री विशाल’ के उद्घोष के साथ धाम के कपाट बंद किए। इस विशेष मौके पर बद्रीनाथ मंदिर को भव्य रूप से 15 क्विंटल फूलों से सजाया गया था। इस दौरान 10 हजार से अधिक श्रद्धालु मौजूद रहे जो विशेष रूप से इस अवसर का हिस्सा बने।
श्री बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने के बाद 18 नवंबर को देव डोलियां योग बदरी पांडुकेश्वर और जोशीमठ के लिए प्रस्थान करेंगी। यह यात्रा बद्रीनाथ धाम के शीतकालीन पूजाओं की शुरुआत का प्रतीक है। इसके बाद 19 नवंबर से योग बदरी पांडुकेश्वर तथा श्री नृसिंह मंदिर जोशीमठ में शीतकालीन पूजाएं शुरू हो जाएंगी।बता दें कि हर साल सर्दी के मौसम में भारी बर्फबारी की संभावना होती है और मंदिर के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाते हैं। इसके बाद भगवान बदरी विशाल की पूजा और दर्शन पांडुकेश्वर और जोशीमठ स्थित शीतकालीन तीर्थ स्थानों पर होती है।
भैया दूज पर बाबा केदारनाथ धाम के कपाट बंद हो गए थे। इसके बाद गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट बंद हुए थे। इसके अलावा पंच केदारेश्वर और अन्य धामों के कपाट बंद हो चुके हैं। बता दें कि सबसे आखिरी में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होते हैं।