देहरादून एयरपोर्ट पर बढ़ेगी उड़ानों की संख्या, एयर स्पेस बढ़ाने की तैयारी

देहरादून- जौलीग्रांट एयरपोर्ट पर अब और अधिक विमान उतर सकेंगे। एयरपोर्ट के पास वर्तमान में पांच नॉटिकल मील (9.26 किमी) लंबा और 7500 फीट ऊंचा एयर स्पेस है, जिसमें प्रति घंटा सिर्फ सात विमानों को नियंत्रित किया जा सकता है। लेकिन यदि एयर स्पेस बढ़ाया जाता है, तो यह संख्या बढ़कर 12 विमानों प्रति घंटा हो जाएगी, जिससे हवाई सेवाओं में बड़ा बदलाव आएगा।

एयरपोर्ट निदेशक प्रभाकर मिश्रा ने इस मुद्दे को सलाहकार समिति की बैठक में उठाया। अब समिति इस प्रस्ताव को भारत सरकार के समक्ष रखेगी। यदि एयर स्पेस विस्तार को मंजूरी मिलती है, तो देहरादून एयरपोर्ट पर अधिक विमानों की लैंडिंग संभव होगी और यात्रियों को भी अधिक उड़ानों की सुविधा मिलेगी।

नए टर्मिनल से बढ़ी क्षमता, लेकिन एयर स्पेस बना बाधा

देहरादून एयरपोर्ट का नया टर्मिनल बनने से कुल जगह 42,776 वर्ग मीटर हो गई है और इसकी क्षमता 50 लाख यात्रियों प्रति वर्ष तक बढ़ गई है। लेकिन पर्याप्त एयर स्पेस न मिलने के कारण अधिक विमानों का संचालन संभव नहीं हो पा रहा है।

वर्तमान में सुबह 7:30 बजे से रात 7:15 बजे तक लगभग 18 से 20 फ्लाइट्स उतरती हैं, लेकिन एयर स्पेस बढ़ने से यह संख्या और बढ़ सकती है।

क्या होता है एयर स्पेस?

एयर स्पेस किसी भी एयरपोर्ट को वायु सेना द्वारा दिया जाता है। इसी क्षेत्र के भीतर एयरपोर्ट का एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) विमानों को नियंत्रित करता है। छोटे एयर स्पेस में सीमित संख्या में विमान उतर सकते हैं, जबकि बड़े एयर स्पेस में अधिक विमानों को हैंडल करना आसान होता है।

तीन प्रमुख समस्याएं जिनका समाधान जरूरी

1. एयर स्पेस की कमी: अधिक विमानों के संचालन में बाधा।

2. रनवे विस्तार और भूमि की जरूरत: एयरपोर्ट को 140.5 एकड़ अतिरिक्त जमीन चाहिए।

3. वन्य जीवों की मूवमेंट: विमानों के संचालन में परेशानी हो रही है।

 

यदि एयर स्पेस बढ़ाने का प्रस्ताव स्वीकृत होता है, तो देहरादून एयरपोर्ट पर उड़ानों की संख्या में बढ़ोतरी होगी और यात्रियों को बेहतर सुविधाएं मिलेंगी।

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