मशहूर कथावाचक मोरारी बापू आजकल तीर्थनगरी ऋषिकेश में अपने प्रवचानों से ऋषिकेश वासियों को मंत्रमुग्द कर रहे है। पूर्णानंद मैदान में गंगा किनारे गुजरात से आए हुए मोरारी बापू अपने रामकथा के दौरे पर है। रामकथा वाचक मोरारी बापू ने कहा कि आज के समय में विश्व में लोक मंगल के लिए सनातनी रुपी आंखों की आवश्यकता है। सनातनी आंखें दूरदृष्टि के साथ आरपार देखने वाली होती हैं। राम-कृष्ण हमारी सनातनी आंखें हैं। रामायण और गीता दोनों सनातन की आंखें हैं।
श्री पूर्णानंद खेल मैदान मुनिकीरेती में आयोजित रामकथा में मोरारी बापू ने कहा कि सनातन धर्म का अनुसरण करने वालों को अपने घरों में रामायण और गीता जरूर रखनी चाहिए। सनातन आंखें सजल होती हैं, इनसे सत्य, प्रेम, करुणा का अविरल प्रकाश प्रकाशित होता है। उन्होंने चरण पादुका की महिमा बताते हुए कहा कि चरण पादुका भी सनातन आंखें हैं। कुंभ के आयोजन अवसरों पर लोक कल्याण के लिए धर्म निरुपण, धर्म विधि, तत्व विभाग, भक्ति, ज्ञान और वैराग्य पर धर्माचार्यों, विद्वानों, साधु-संतों आदि की ओर से चर्चा की जाती थी। उन्होंने कहा कि जब राम जनकपुर में गुरु वंदना के लिए पुष्प लेने वाटिका पहुंचे तो माली ने उनसे पूछा आपके यहां आने का प्रयोजन क्या है तो भगवान राम ने कहा कि हम यहां पुष्प के लिए आए हैं। माली उत्तर सुनकर मुस्कराया और कहा जो स्वयं में पुष्प वाटिका हो उसे इस उपवन में आने की क्या जरूरत। बापू ने कथा में श्रोताओं से चर्चा करते हुए कहा कि राम दर्शन में राम के तीन शारीरिक अंगों को विशाल बताया गया हैं। प्रथम उनके राजीव लोचन, दूसरा विशाल हृदय और तीसरा उनके विराट बाहु, जो हर जीव को अपने हृदय से स्पर्श करते हैं, जो सनातनी आंखों के दर्शन कराती हैं।