ऋषिकेश- गंगा की पवित्र धारा को दूषित करने का मामला अब गंभीर मोड़ पर आ गया है। चंद्रेश्वरनगर स्थित 7.50 एमएलडी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट में क्षमता से अधिक गंदा पानी छोड़े जाने के कारण एक नाले का गंदा पानी बिना किसी शोध के सीधे गंगा में प्रवाहित किया जा रहा था, जिससे गंगा में गंदगी का प्रलय आ गया।
स्थानीय युवाओं के विरोध ने इस मामले को तूल पकड़ लिया। हिमांशु रावत के नेतृत्व में एक समूह ने चंद्रेश्वरनगर स्थित सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के पास इकट्ठा होकर नाले की सफाई की। यह नाला इतना गंदा था कि उसके पानी को सीधे गंगा में छोड़े जाने से वातावरण और जल प्रदूषण का स्तर गंभीर रूप से बढ़ चुका था।
हिमांशु रावत ने आक्रोशित होकर कहा, “यह गंगा की अवहेलना है, इसे हर हाल में रोका जाना चाहिए। हमारा कर्तव्य है कि हम अपनी पवित्र नदी की सफाई करें। यहां से गंदा पानी गंगा में सीधे जा रहा था, जिससे न केवल जल को प्रदूषित किया जा रहा था, बल्कि यह पूरे क्षेत्र के स्वास्थ्य के लिए भी खतरा बन चुका था।”
आंदोलन के दौरान सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के कर्मचारी भी भागते हुए आए और स्थिति को संभालते हुए दूसरे नाले को ट्रीटमेंट प्लांट में डालने की कोशिश की। लेकिन, प्लांट से जो शोधित पानी बाहर निकलकर आ रहा था, वह भी पीला और गंदा था, जो सवालों के घेरे में है।
गुस्साए युवाओं ने फिर चारधाम यात्रा ट्रांजिट कैंप में गढ़वाल आयुक्त विनय शंकर पांडेय से मुलाकात की, जिन्होंने गंभीरता से संज्ञान लेते हुए टिहरी और देहरादून के जिलाधिकारियों को आदेश दिया कि 15 दिनों के भीतर इस गंदे नाले को पूरी तरह से बंद किया जाए और इसे टेप किया जाए।
युवाओं के इस जबरदस्त आंदोलन में ब्रजेश पंवार, आशुतोष, राघव झा, अभिषेक पाल, सुरेंद्र नेगी, भुवनेश्वर सहित अन्य कार्यकर्ता भी शामिल थे। इस घटना ने गंगा के प्रदूषण को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं और सरकार के द्वारा इस मुद्दे पर अब तक की गई कार्रवाई की गंभीरता पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं।
इस घटना के बाद से गंगा के संरक्षण को लेकर व्यापक बहस शुरू हो गई है, और लोग यह जानने के लिए उत्सुक हैं कि क्या प्रशासन और सरकार इस मुद्दे पर गंभीर कदम उठाएंगे या इसे यूं ही नजरअंदाज किया जाएगा।