ऋषिकेश।शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के उत्तराखंड प्रान्त पर्यावरण प्रमुख एवं जिला गंगा सुरक्षा समिति के नामित सदस्य पर्यावरण विद विनोद जुगलान ने कहा कि राज्य का केदार खण्ड क्षेत्र हो या मानस खण्ड यहाँ प्रकृति से छेड़छाड़ के नतीजों से उपजी प्राकृतिक आपदाएं मानव को सचेत करती आयीं हैं।लेकिन इसके बावजूद भी मनुष्य जागरूक होने का नाम नहीं ले रहा है।जुगलान ने बताया कि ऋषिकेश में स्वर्गीय इन्द्रमणि बड़ोनी चौक के समीपवर्ती चन्द्रभागा पुल के समीप एक वाहन नदी क्षेत्र में बीते अगस्त माह में आई भीषण बाढ़ के कारण आज तक धँसा हुआ है।जो इस बात का संकेत है कि भविष्य में यहां बाढ़ के कारण कोई भी बड़ा हादसा हो सकता है।जुगलान ने कहा कि वर्ष 2019 में तत्कालीन जिलाधिकारी देहरादून डॉ आशीष श्रीवास्तव की अध्यक्षता में नगर निगम ऋषिकेष स्थित सभागार में आयोजित जिला गंगा सुरक्षा समिति की बैठक में मेरे द्वारा ऋषिकेश क्षेत्र में चन्द्रभागा नदी क्षेत्र में वाहनों की पार्किंग को लेकर न केवल चिन्ता जताई गई थी बल्कि समस्या के निदान को यह सुझाव दिया गया था कि नदी क्षेत्र में वन विभाग से वार्ताकार लीज अनुमति के साथ पुलों के निर्माण कर पार्किंग और वेंडिंग जोन विकसित किये जायें।इससे न केवल पार्किग की समस्या का समाधान होगा बल्कि वेंडिंग जोन विकसित किये जाने से बाजार में फड़ी ठेलों की वजह से लगने वाले जाम से भी निजात मिलेगी।जुगलान ने कहा कि उन्होंने वर्ष 2019 में तत्कालीन जिलाधिकारी देहरादून को वर्ष 1951 में पौड़ी जनपद के सतपुली की बाढ़ में बहगये उन वाहनों का जिक्र किया था जो सतपुली स्थित नदी क्षेत्र में पार्क किये गए थे।उस आपदा के जिक्र तत्कालीन लोकगायकों ने अपने गीतों से मार्मिक चित्रण किया था जो वर्षों तक आपदा की याद दिलाते रहे।उन्होंने कहा कि चन्द्रभागा नदी क्षेत्र में वाहनों के लम्बे समय से हो रही पार्किंग से भविष्य में कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है लेकिन प्रसाशन इस समस्या को कितनी गम्भीरता से ले रहा है।उसका ताजा उदाहरण है कि अगस्त माह में बाढ़ आपदा में धंसा वाहन आज भी जस का तस वहीं फँसा हुआ है।दूसरी ओर वाहनों की पार्किंग नदी क्षेत्र में निरन्तर जारी है।उन्होंने कहा कि प्रसाशन को समय रहते इस ओर ध्यान देने की जरूरत है।